3 नए कृषि बिल क्या है? और किसान क्यों कर रहे हैं आंदोलन? क्या सही में 3 नए कृषि बिल सही है या गलत?

Tue Dec 15, 2020


दोस्तों आज के लेख में हम यह जानेंगे की ३ नए ने कृषि बिल क्या है? किसान क्यों कर रहे आंदोलन? और यह बिल सही है या गलत? आज में आपको इस लेख के माध्यम से जानकारी प्रदान करूंगी। कि कौन से हैं वो 3 Agriculture Ordinance (किसान कृषि बिल) जो अब कानून बना है। MSP पर क्या प्रभाव होगा, क्या अनाज मंडियां होंगी बंद ?

भारत सरकार द्वारा किसान की फसल बेचने के लिए हाल ही में कृषि बिल (Krishi Bill 2020, Agriculture Bill) कानून बनाया गया था, जो लोकसभा और फिर राज्यसभा में पास होने के बाद राष्ट्रपति की मोहर लगने के बाद पास किया गया था। जिसमें मोदी सरकार द्वारा तीनों कृषि बिल Farm Bill 2020 पास किये गये थे। इन तीनों बिलों पर किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है। जिसके लिए किसान देश अलग अलग शहरों तथा क्षेत्रों में विरोध कर रहे हैं।

Agriculture Ordinance – नया किसान बिल 2020 का मुख्य उद्देश्य कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य को सरलीकरण करना है। जिसके लिए केंद्र सरकार ने प्राइवेट सेक्टर को फसल खरीदने का अवसर प्रदान किया है। जिससे किसान सरकारी मंडी के अलावा भी किसी और व्यक्ति के पास बेच सकता है। और किसानों की आय दोगुनी होने में सहायता प्राप्त हो सके। किन्तु किसान संगठनों का मानना है कि, इस कानून के कारण कृषि क्षेत्र पर पूंजीपतियों का दबदबा बन जायेगा। क्योंकि किसानों के पास फसल को रखने की कोई खास अच्छी व्यवस्था नहीं होती है। और किसान कम कीमत पर अपनी फसल को बेच कर अधिक दामों में खरीदेगा।

क्या है तीनों कृषि बिल?

१)कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020= के तहत किसान देश के किसी भी कोने में अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे. अगर राज्य में उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा या मंडी सुविधा नहीं है तो किसान अपनी फसलों को किसी दूसरे राज्य में ले जाकर फसलों को बेंच सकता है. साथ ही फसलों को ऑनलाइन माध्यमों से भी बेंचा जा सकेगा, और बेहतर दाम मिलेंगे.

२)कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020=के तहत किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ध्यान दिया गया है. इसके माध्यम से सरकार बिचौलिओं को खत्म करना चाहती है. ताकि किसान को उचित मूल्य मिल सके. इससे एक आपूर्ति चैन तैयार करने की कोशिश कर रही है सरकार।

३)आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020= के तहत अनाज, खाद्य तेल, आलू-प्याज को आनिवार्य वस्तु नहीं रह गई हैं. इनका अब भंडारण किया जाएगा. इसके तहत कृषि में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का सरकार प्रयास कर रही है।

क्यों हो रहा है विरोध?

1- इसमें किसानों व अन्य राजनैतिक पार्टियों का कहना है कि अगर मंडियां खत्म हो गई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Selling Price) नहीं मिल पाएगी. इसलिए एक राष्ट्र एक MSP होना चाहिए.

2- विरोध का कारण यह भी है कि कीमतों को तय करने का कोई तंत्र नहीं है. इसलिए किसानों और राजनैतिक दलों की चिंता यह है कि कहीं निजी कंपनियां किसानों का शोषण न करें.

3- चिंता यह भी है कि व्यापारी इस जरिए फसलों की जमाखोरी करेंगे. इससे बाजार में अस्थिरता उत्पन्न होगी और महंगाई बढ़ेगी. ऐसें में इन्हें नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता है.

4- राज्य सरकारों को चिंता यह भी है कि अगर फसलों के उचित दाम राज्य में नहीं दिए जाएंगे तो किसान पड़ोसी राज्य में जाकर अपनी फसलें बेंच सकेंगे. ऐसे में राज्य सरकारों को फसल संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

*किसान बिल से जुड़ी अफवाह और सच्चाई*
१)न्यूनतम समर्थन मूल्य का क्या होगा?
अफवाह : किसान बिल असल में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य न देने की साजिश है।
सच: किसान बिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी दिया जा रहा है और भविष्य में दिया जाता रहेगा।
२) क्या होगा मंडीयो का?
अफवाह : अब मंडियां खत्म हो जाएंगी।
सच: मंडी सिस्टम जैसा है, वैसा ही रहेगा।
३)सच में यह बिल किसान विरोधी है?
अफवाह : किसानों के खिलाफ है किसान बिल।
सच: किसान बिल से किसानों को आजादी मिलती है। अब किसान अपनी फसल किसी को भी, कहीं भी बेच सकते हैं। इससे ‘वन नेशन वन मार्केट’ स्थापित होगा। बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करके किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे।
४)क्या बड़ी कंपनियां शोषण करेंगी?
अफवाह : कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी।
सच: समझौते से किसानों को पहले से तय दाम मिलेंगे लेकिन किसान को उसके हितों के खिलाफ नहीं बांधा जा सकता है। किसान उस समझौते से कभी भी हटने के लिए स्वतंत्र होगा, इसलिए लिए उससे कोई पेनाल्टी नहीं ली जाएगी।
५)क्या सच में छिन जाएगी किसानों की जमीन?
अफवाह : किसानों की जमीन पूंजीपतियों को दी जाएगी।
सच: बिल में साफ कहा गया है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह प्रतिबंधित है। समझौता फसलों का होगा, जमीन का नहीं।
६) क्या किसानों को नुकसान है?
अफवाह: किसान बिल से बड़े कॉर्पोरेट को फायदा है, किसानों को नुकसान है।
सच: कई राज्यों में बड़े कॉर्पोरेशंस के साथ मिलकर किसान गन्ना, चाय और कॉफी जैसी फसल उगा रहे हैं। अब छोटे किसानों को ज्यादा फायदा मिलेगा और उन्हें तकनीक और पक्के मुनाफे का भरोसा मिलेगा।

*क्या केंद्र सरकार के पास एग्रीकल्चर मैटर पर कानून बनाने की पावर है?*

दोस्तों, मैं आपको बताना चाहूंगी कि हमारा भारतीय संविधान मैं ७ वी अनुसूची में 3 सूची दी है, पहली सूची है संघ सूची, दूसरी सूची है राज्य सूची और तीसरी सूची है समवर्ती सूची, संघ सूची में केंद्र सरकार को पावर दी है लॉ बनाने की, जो सूची में राज्य सरकार को पावर दी है कानून बनाने की,और तीसरी सूची जो समवर्ती सूची है उसमें राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को पावर है कानून बनाने का। किसान या कृषि कानून से रिलेटेड मैटर आते हैं राज्य सूची के एंट्री 14 में जो कि राज्य सूची का पार्ट है। देखा जाए तो इस सूची के हिसाब से राज्य सरकार को पावर है कानून बनाने का लेकिन इसका कोई मतलब नहीं क्योंकि भारतीय संविधान में दो ऐसे अनुच्छेद है जिनके हम बात करें अनुच्छेद 248 बात करता है रेसुडियरी पावर कि जो कहता है कि अगर ऐसी कोई भी एंट्री या चीज है जो तीनों सूची में प्रेजेंट नहीं है यह पावर जाएगी केंद्र सरकार के पास कि केंद्र सरकार इस पर कानून बनाएगी। इसी तरह अनुच्छेद 249 की बात करें तो यह कहता है कि भले ही कोई भी एंट्री राज्य सूची का पार्ट हो और नेशनल इंटरेस्ट की बात हो तो केंद्र सरकार राज्यसुची पर भी लॉ बना सकता है। मतलब यह है कि अनुच्छेद 249 के अंतर्गत केंद्र सरकार को पावर आ जाती है कि वह नेशनल इंट्रेस्ट कि बात लेकर राज्यसुची पर भी लॉ बनाए। उसी तरह समवर्ती सूची में एंट्री 33 राज्य सूची की एग्रीकल्चर पर कानून बनाने की पावर को कम करता है। एंट्री 33 कहती है कि एग्रीकल्चर के मैटर में केंद्र सरकार भी लॉ बना सकता है इसी एंट्री 33 को यूज करते हैं केंद्र सरकार ने एसेंशियल कमोडिटी एक्ट पास किया था, वह भी तो एक कानून ही है ना? इसका मतलब केंद्र सरकार के पास एग्रीकल्चर मैटर पर लॉ बनाने की पावर है।

सुझाव: - १)प्रतिस्पर्द्धा को मज़बूत करने के लिये कृषि अवसंरचना में सुधार: सरकार को बड़े पैमाने पर APMC बाज़ार प्रणाली के विस्तार के लिये फंड देना चाहिये , व्यापार कार्टेल को हटाने के लिये प्रयास करना चाहिये और किसानों को अच्छी सड़कें, पैमाने की रसद और वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करनी चाहिये।
२)राज्य किसान आयोगों को सशक्त बनाना: भारी केंद्रीकरण का विरोध करने के बजाय राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा अनुशंसित राज्य किसान आयोगों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने पर जोर दिया जाना चाहिये ताकि मुद्दों पर सरकार की तीव्र प्रतिक्रिया आए।
३)सर्वसम्मति बनाना: केंद्र को किसानों सहित विधेयकों का विरोध करने वालों तक पहुँचना चाहिये उन्हें सुधार की आवश्यकता समझानी चाहिये और उन्हें बोर्ड पर लाना चाहिये।
दोस्तों यह जो 3 कानून आए हैं यह तो नए है लेकिन ऐसे कितने कानून या लॉ है जो किसान के इंटरेस्ट के अगेंस्ट में है जैसे कि लैंड एक्विजिशन एक्ट,लैंड सीलिंग एक्ट, ऐसे बहुत लॉ हैं जो फार्मर के इंट्रेस्ट के अगेंस्ट हैं। मेरा लेख अगर आप सभी को मददगार साबित होता है तो आप किसान रिफॉर्म और किसान बेनिफिट के लिए निष्पक्ष तरीके से सोच पाएंगे।

Adv. Ankita R. Jaiswal
Civil & Criminal Court Warud, Dist Amravati

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